بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
वह हुक्मी नापाकी जिसकी वजह से हम जिस्म और कपड़ों से पाक व साफ़ होने के बावजूद नमाज़ वग़ैरा अदा नहीं कर सकते उसे “हदस “कहते है।
हदस से पाकी हासिल करने के लिए वुज़ू, ग़ुस्ल या तयम्मुम की ज़रूरत होती है लिहाज़ा इनके बारे में जानना बहुत ज़रूरी है। इनमें थोड़ी सी बेएहतियाती हमारी़ नमाज़ें और दूसरी इबादतें ख़राब कर सकती है और जान बूझ कर छोड़ने पर कुफ़्र तक पहुँचा सकती है।
इसकी दो क़िस्में हैं।
1. हदस-ए-असग़र जिनसे वुज़ू टूट जाता है और नमाज़ वग़ैरा के लिये वुज़ू करना लाज़िम हो जाता है।
2. हदस-ए- अकबर वह हालतें जिनसे “ग़ुस्ल” (नहाना) लाज़िम हो जाता है।
हदस-ए-असग़र (जिनसे वुज़ू टूट जाता है)
- पेशाब, पाख़ाना, करने से।
- वदी, मज़ी, मनी के निकलने से।
- कीड़ा और पथरी मर्द या औरत के आगे पीछे से निकलने से।
- मर्द या औरत के पीछे से हवा निकलने से, जिसको ‘रियाह‘ कहते हैं।
- ख़ून, पीप या पीला पानी कहीं से निकल कर बहने से।
- अगर ज़ख़्म से ख़ून वग़ैरा निकलता रहा और यह बार-बार पोंछता रहा, मिट्टी या राख डाल कर सुखाता रहा कि बहने नहीं दिया तो यह ध्यान करे कि अगर न पोंछता या सुखाता तो बह जाता तो वुज़ू टूट गया वरना नहीं।
- फोड़ा या फुन्सी के निचोड़ने या दबाने पर ख़ून के बहने से।
- छाला नोचने से अगर उसमें का पानी बह गया तो वुज़ू टूट गया वरना नहीं।
- थूक के साथ मुँह से ख़ून निकलने पर अगर ख़ून थूक से ज़्यादा हो तो वुज़ू टूट जायेगा वरना नहीं। थूक के ज़्यादा और कम होने की पहचान यह है कि थूक का रंग अगर सुर्ख़ हो जाये तो ख़ून ज़्यादा समझा जाएगा और अगर पीला रहे तो कम।
- ग़फ़लत की नींद सो जाने से वुज़ू टूट जाता है।
- अगर नमाज़ में जान बूझ कर सोया तो वुज़ू भी गया और नमाज़ भी गई वुज़ू करके दोबारा पढ़े, अगर बिना इरादा सोया तो वुज़ू टूटा नमाज़ नहीं गई, वुज़ू करके जिस रुक्न में सोया था वहाँ से अदा करेगा और नमाज़ का दोबारा पढ़ना बेहतर है।
- नीचे दी गईं हालतों में सो जाने से भी वुज़ू टूट जाता है-
- दोनों सुरीन (कूल्हे) ख़ूब न जमें हों।
- ऐसी हालत पर न सोया हो जिस से ग़ाफि़ल होकर नींद न आ सके।
- उकड़ूँ बैठ कर।
- चित, पट या करवट पर लेट कर।
- एक कोहनी पर टेक लगा कर।
- एक करवट को झुका हुआ बैठ कर कि एक या दोनों सुरीन उठे हों।
- जानवर की नंगी पीठ पर सवार है जो ढाल पर उतर रहा है।
- दो ज़ानू बैठकर और पेट रानों पर रखकर कि दोनों सुरीन जमे न रहे।
- चार ज़ानू बैठकर और सिर रानों या पिंडलियों पर रखकर।
- औरतों के सजदा करने की हालत पर।
- ज़ोर से हँसने से वुज़ू टूट जाता हैः- रुकू और सजदे वाली नमाज़ में अगर बालिग़ आदमी इतनी ज़ोर से हँसे कि आस पास वाले सुन लें तो वुज़ू टूट जायेगा और नीयत भी टूट जायेगी और अगर इतनी ज़ोर से हँसा कि ख़ुद उसने ही सुना और आस पास वाले न सुन सकें तो वुज़ू नहीं जायेगा नमाज़ जाती रहेगी।
- मुँह भर के उल्टी आने से वुजू़ टूट जाता है।
- पागल हो जाने पर।
- बेहोशी से चाहे बीमारी से हो या नशे से।
- नशा जिससे पाँव लड़खड़ाते हों।
- दो लोगों का आपस में शर्मगाहें मिलाने से।
- नमाज़ वग़ैरा के इंतज़ार में कभी कभी नींद आ जाती है और नमाज़ी नींद को दूर करना चाहता है तो कभी ऐसा ग़ाफ़िल हो जाता है कि उस वक़्त जो बातें हुईं उनकी उसे बिल्कुल ख़बर नहीं बल्कि दो तीन आवाज़ों में उसकी आँख खुली और अपने ख़्याल में वह यह समझता है कि सोया न था तो उसके इस ख़्याल का एतबार नहीं अगर कोई मोतबर आदमी कहे कि तू ग़ाफ़िल था यहाँ तक कि तू ऐसा ग़ाफ़िल था कि तुझे पुकारा गया लेकिन तूने जवाब नहीं दिया या बातें पूछी जायें और वह न बता सके तो उस पर वुज़ू लाज़िम है।
- दुखती आ़ँख से पानी बहने पर वुज़ू टूट जाता है। आँख दुखते में जो आँसू बहता है नजिस है और उससे वु़ज़ू टूट जाता है इससे बचना बहुत ज़रूरी है। इस मसअले से बहुत से लोग ग़ाफ़िल हैं, अक़्सर देखा गया है कि कुर्ते वग़ैरा से इस हालत में आँख पोंछ लिया करते हैं अगर ऐसा किया तो कुर्ता वग़ैरा नापाक हो जायेगा।
- वुज़ू के दरमियान में अगर रियाह यानि गैस निकले या कोई ऐसी बात हो जिससे वुज़ू टूट जाता है तो नये सिरे से फिर वुज़ू करे।
- चुल्लू में पानी लेने के बाद अगर हदस हुआ यानि पेशाब पाख़ाना या रियाह वग़ैरा चीज़ें निकलीं तो वह पानी बेकार हो गया और वह किसी उज़्व के धोने के काम नहीं आ सकता।
- मुँह में इतना ख़ून निकला कि थूक लाल हो गया अगर लोटे या कटोरे को मुँह से लगाकर कुल्ली के लिए पानी लिया तो लोटा कटोरा और सब पानी नापाक हो गया। चुल्लू से पानी लेकर कुल्ली करे और फिर हाथ धोकर कुल्ली के लिये पानी लें।
- बीमार लेट कर नमाज़ पढ़ रहा था अगर नींद आ गई तो वुज़ू टूट जायेगा।