بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
इन हालतों में वुज़ू नहीं टूटता-
- ऊँघने या बैठे-बैठे झोंके लेने से वुज़ू नहीं जाता। नींद में झूम कर गिर पड़ा और फ़ौरन आँख खुल गई तो वुज़ू नहीं टूटेगा।
- इन हालतों में सोने से वुज़ू नहीं टूटता। नमाज़ में यह सूरतें पेश आईं तो न वुज़ू जाये न नमाज़, लेकिन अगर पूरा रुक्न सोते ही में अदा किया तो उसका लौटाना ज़रूरी है।
- ज़मीन, कुर्सी या बैंच पर बैठा है दोनों सुरीन (कूल्हे) जमे हैं और दोनों पाँव एक तरफ़ फैले हुए।
- दोनों सुरीन पर बैठा है, घुटने खड़े हैं और हाथ पिंडलियों को घेरे हों चाहे ज़मीन पर हों।
- दो ज़ानू सीधा बैठा हो या चार ज़ानू पालथी मार कर।
- जानवर पर सवार हो ज़ीन या नंगी पीठ पर और रास्ता हमवार हो या चढ़ाई वाला।
- खड़े खड़े सो गया या रुकू की सूरत पर या मर्दों के मसनून सजदे की शक्ल पर।
- औरतों के जो सफ़ेद पानी बिना ख़ून की मिलावट के निकलता है उससे न तो वुज़ू टूटता है और न ही कपड़े नापाक होते हैं।
- अगर नाक साफ़ करने पर उसमें से जमा हुआ ख़ून निकला तो वुज़ू नहीं टूटेगा।
- अगर ख़ून सिर्फ़ चमका या उभरा और बहा नहीं जैसे सुई की नोंक या चाक़ू का किनारा लगने से ख़ून उभर या चमक जाता है या ख़िलाल किया या मिस्वाक की या उंगली से दाँत माँझा या दाँत से कोई चीज़ काटी उस पर ख़ून का असर पाया या नाक में उंगली डाली उस पर ख़ून की सुर्ख़ी आ गई मगर वह ख़ून बहने के लायक़ नहीं था तो वुज़ू नहीं टूटा ऐसे ही जख़्म में गड्ढा पड़ गया और उसमें से कोई रुतूबत चमकी मगर बही नहीं तो वुज़ू नहीं टूटेगा।
- अगर मुस्कुराया कि दाँत निकले और आवाज़ बिल्कुल नहीं निकली तो इससे न तो नमाज़ जायेगी और न वुज़ू टूटेगा।
- घुटना या सत्र (वह जगह जिसका छुपाना फ़र्ज़ है) खुलने, अपना या पराया सत्र देखने से वुज़ू नहीं टूटता है। वुज़ू के आदाब में से है कि नाफ़ से ज़ानू के नीचे तक सब सत्र छुपा हो बल्कि इस्तंजे के बाद फ़ौरन छुपा लेना चाहिये। बिना ज़रूरत सत्र का खुला रहना मना है और दूसरों के सामने सत्र खोलना हराम है।