ग़ुस्ल और कब-कब करना चाहिये?

ग़ुस्ल और कब-कब करना चाहिये?

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

फ़र्ज़ के अलावा कुछ हालतों में ग़ुस्ल करना वाजिब है, कुछ में सुन्नत और कुछ में मुस्तहब है

ग़ुस्ल कब वाजिब है?

  • काफ़िर पर इस्लाम लाने के बाद।
  • लड़का/लड़की का पन्द्रह (15) साल की उम्र से पहले बालिग़ होने पर।
  • मुसलमान को मरने के बाद नमाज़े जनाज़ा से पहले नहलाना मुसलमानों पर वाजिब है।

ग़ुस्ल कब सुन्नत है?

  • जुमे की नमाज़ के लिये, फ़ज्र का वक़्त शुरू होने या नमाज़ के बाद।
  • दोनों ईदों के दिन, फ़ज्र के बाद।
  • हज या उमरे के एहराम के लिये।
  • हज करने वालों पर अरफ़े के दिन ज़ुहर का वक़्त शुरू होने के बाद।

ग़ुस्ल कब मुस्तहब है?

  • शाबान की पन्द्रहवीं रात यानि शब-ए-बरात को।
  • लड़का/लड़की के पन्द्रह(15) साल की उम्र होने पर अगर बालिग़ न हुए हों।
  • मय्यत के नहलाने के बाद।
  • जुनून, मस्ती या बेहाशी के ख़त्म होने पर।
  • मदीना-ए-मुनव्वरा में दाखि़ल होने पर।
  • मुज़दलफ़ा में ठहरने के लिये दसवीं तारीख़ को फ़ज्र की नमाज़ के बाद।
  • शैतान पर कंकरी फेंकने के लिये।
  • तवाफ़े ज़ियारत के लिये।
  • किसी गुनाह से तौबा करने के लिये।
  • कुछ ख़ास नफ़ली नमाज़ों के लिये जो डर, मुसीबत और परेशानी वग़ैरा दूर करने के लिये पढ़ी जाती हैं।
  • सफ़र से वापस अपने वतन पहुँचने पर।

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