ग़ुस्ल के लिये ध्यान देने लायक़ ज़रूरी बातें

ग़ुस्ल के लिये ध्यान देने लायक़ ज़रूरी बातें

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

अक़्सर लोग सिर पर पानी डाल कर जिस्म पर हाथ फेर लेते हैं और समझते हैं कि ग़ुस्ल हो गया हालांकि कुछ उज़्व (Body parts) ऐसे हैं कि जब तक उनकी ख़ास तौर पर एहतियात न की जाये तो सही तरह से नहीं धुलते और ग़ुस्ल नहीं होता और न ही नापाकी दूर होती है। लिहाज़ा नीचे दी गई बातों को अच्छी तरह ध्यान में रखते हुए एक-एक उज़्व (Body parts) पर अच्छी तरह पानी बहा कर ग़ुस्ल करना चाहिये।

  • दाँतों की जड़ों या बीच की जगहों में कोई ऐसी चीज़ जमी हुई हो जो पानी को बहने से रोके तो उसका छुटाना ज़रूरी है जैसे छाली के दाने, खाने के रेशे और ज़र्रे(Particles) वग़ैरा। अगर छुड़ाने में कोई नुक़सान हो और दाँतों या मसूढ़ों में तकलीफ़ हो तो माफ़ है और उनके छीलने में दाँतों या मसूढ़ों के नुक़सान का ख़तरा है तो माफ़ है।
  • हिलता हुआ दाँत तार से या उखड़ा हुआ दाँत किसी मसाले वग़ैरह से जमाया गया और पानी तार या मसाले के नीचे न बहे तो माफ़ है।
  • नाक या कान वग़ैरा में कोई ज़ेवर पहना हो जैसे नथ, बुंदे, लौंग या बुलाक़ वग़ैरा तो उनके छेदों में हिलाकर पानी बहाना ज़रूरी है।
  • सिर के बाल गुँथे न हों तो हर बाल पर जड़ से नोंक तक पानी बहाना और गुँथे हों तो मर्द पर फ़र्ज़ है कि उनको खोलकर जड़ से नोक तक पानी बहाये और औरत पर सिर्फ़ जड़ तर कर लेना ज़रूरी है खोलना ज़रूरी नहीं लेकिन अगर चोटी इतनी सख़्त गुँथी हो कि बिना खोले जडें तर नहीं होंगी तो खोलना ज़रूरी है।

जिस्म में कुछ जगहें ऐसी हैं कि वहाँ अगर ख़ास तौर पर ध्यान से पानी न बहाया जाये तो सूखा रहने का अंदेशा रहता है लिहाज़ा इन नीचे दी गई जगहों का ख़ास ध्यान रखें।

  • भँवों, मूँछों और दाढ़ी के बालों का जड़ से नोक तक और उनके नीचे की खाल।
  • पूरा कान अंदर, बाहर, ऊपर, नीचे से और उसके सुराख़ का मुँह। कानों के पीछे के बाल हटा कर पानी बहाना भी ज़रूरी है।
  • ठोड़ी और गले के जोड़ को मुँह उठाकर धोयें।
  • बग़लें भी हाथ उठाकर धोयें।
  • बाज़ू का हर रुख़ और कोहनियाँ।
  • पीठ और कमर।
  • जिस्म के वह हिस्से जो नीचे को लटके या ढलके हुऐ हों या पेट की खाल लटकने की वजह से सिलवटें पड़ी हों तो उठाकर धोये।
  • नाफ़ को उंगली डाल कर धोयें और पानी बहायें।
  • जिस्म का रुआँ और बालों को जड़ से लेकर नोक तक धोना ज़रूरी है।
  • रान और पेड़ू का जोड़। रान और पिंडली का जोड़ जब बैठ कर नहाये।
  • दोनों कूल्हों के मिलने की जगह ख़ास कर जब खड़े होकर नहाये।
  • रानों की गोलाई और पिंडलियों की करवटें।
  • जिसका ख़तना न हुआ हो तो अगर खाल चढ़ सकती हो तो चढ़ाकर धोये और खाल के अन्दर पानी चढ़ाये। औरतों को ख़ास कर यह एहतियात ज़रूरी है।
  • औरतें पेशाब की जगह और उसके आस-पास ध्यान से धोयें, अन्दर उंगली डाल कर धोना वाजिब नहीं, मुस्तहब है। ऐसे ही औरत अगर हैज़ और निफ़ास से फ़ारिग़ होकर ग़ुस्ल करती है तो एक पुराने कपड़े से अन्दर के ख़ून का असर साफ़ कर लेना मुस्तहब है।
  • अफ़शाँ या नेल-पालिश लगी हो तो उसका छुड़ाना ज़रूरी है।

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