तयम्मुम के कुछ ज़रूरी मसाइल

तयम्मुम के कुछ ज़रूरी मसाइल

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

तयम्मुम के कुछ ज़रूरी मसाइल इस तरह हैं-

  • नीयत नहीं की तो तयम्मुम नहीं होगा ।
  • नमाज़ उस तयम्मुम से जाइज़ होगी जो या तो ख़ास नमाज़ पढ़ने की नीयत से किया हो या किसी ऐसी इबादत के लिये किया गया हो जो बिना पाकी के जाइज़ नहीं।
  • जिस पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है वह क़ुरआन मजीद पढ़ने के लिये तयम्मुम करे तो उससे नमाज़ पढ़ सकता है और अगर किसी ने सजदा-ए-शुक्र की नीयत से तयम्मुम किया तो उससे नमाज़ नहीं होगी।
  • जिस पर नहाना फ़र्ज़ है उसे यह ज़रूरी नहीं कि ग़ुस्ल और वुज़ू दोनों के लिये दो तयम्मुम करे बल्कि एक ही में दोनों की नीयत कर ले दोनों हो जायेंगे।
  • सारे मुँह पर इस तरह हाथ फेरा जाये कि तयम्मुम की जगह का कोई हिस्सा बाक़ी न रह जाये अगर बाल बराबर भी कोई जगह रह गई तो तयम्मुम नहीं होगा।
  • दाढ़ी, मूँछों और भँवों के बालों पर हाथ फेरना ज़रूरी है। मुँह की हद वुज़ू के बयान में बता दी गई है । भँवों और आँखों के बीच की जगह और नाक के निचले हिस्से का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है, अगर उन पर हाथ नहीं फिरा तो तयम्मुम नहीं होगा।
  • अगर औरत नाक में फूल या नथनी पहने हो तो उसे उतार ले नहीं तो वह जगह बाक़ी रह जायेगी और तयम्मुम नहीं होगा।
  • नथनों के अन्दर मसह ज़रूरी नहीं ।
  • होंठ का वह हिस्सा जो मुँह बंद होने की हालत में दिखाई देता है उस पर भी हाथ फेरना ज़रूरी है अगर मसह करते वक़्त होंठों को ज़ोर से दबा लिया कि कुछ हिस्सा बाक़ी रह गया तो तयम्मुम नहीं होगा ऐसे ही अगर ज़ोर से आँखें बन्द कर ले जब भी तयम्मुम नहीं होगा।
  • मूँछ के बाल ज़्यादा बढ़े हुए हों कि होंठ छिप गया तो उन बालों को उठा कर होंठ पर हाथ फेरना ज़रूरी है।
  • यह भी ध्यान रखना ज़रूरी हे कि दोनों हाथों में बाल बराबर कोई जगह बाक़ी न रहे नहीं तो तयम्मुम नहीं होगा।
  • अंगूठी या छल्ले पहने हो तो उन्हें उतार कर उनके नीचे हाथ फेरना फ़र्ज़ है। औरतों को इसमें ध्यान देना चाहिये कंगन, चूड़ियाँ, और जितने ज़ेवर औरत हाथ में पहने हों सब को हटाकर या उतार कर मसह करें।
  • एक ही बार हाथ मार कर मुँह और हाथों पर मसह कर लिया तो तयम्मुम नहीं हुआ।

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