वुज़ू कब-कब करना चाहिए?

वुज़ू कब-कब करना चाहिए?

0
1775

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

कुछ कामों के लिये वुज़ू करना फ़र्ज़ है यानि इसको छोड़ना गुनाहे कबीरा है और इसका इन्कार कुफ़्र है। कुछ कामों के लिये सुन्नत है और कुछ के लिये मुस्तहब।

वुज़ू करना इन कामों के लिये फ़र्ज़ है।

    • नमाज़
    • सजदा ए तिलावत
    • नमाज़े जनाज़ा
    • क़ुरआन शरीफ़़ छूना
    • तवाफ़ के लिये वुज़ू वाजिब है।

इन कामों के लिये वुज़ू करना सुन्नत है।

    • ग़ुस्ले जनाबत यानि सोहबत के बाद पाकी के लिए नहाने से पहले।
    • जुनूब यानि जो सोहबत के बाद पाक नहीं हुआ उसको खाने, पीने और सोने के लिये।
    • अज़ान और इक़ामत के लिये।
    • जुमा और ईद के ख़ुतबे के लिये।
    • रौज़ा-ए-मुबारक हुज़ूर گ की ज़ियारत के लिये।
    • अरफ़ा में ठहरने और सफ़ा और मरवा के दरमियान सई के लिये।

इन कामों के लिये वुज़ू करना मुस्तहब है।

    • सोने के लिये और सोने से उठने के बाद।
    • मय्यत के नहलाने या उठाने के बाद।
    • सोहबत से पहले।
    • जब ग़ुस्सा आ जाये उस वक़्त।
    • ज़बानी क़ुरआन शरीफ़़ पढ़ने पढ़ाने के लिये।
    • जुमा ईद बक़रईद के अलावा बाक़ी ख़ुतबों के लिये।
    • दीनी किताबों को छूने के लिये।
    • सत्रे ग़लीज़ यानि पेशाब पख़ाने की जगह को छूने के बाद।
    • झूठ बोलने, गाली देने, बुरी बात कहने और ग़ीबत करने पर।
    • काफ़िर से बदन छू जाने, सलीब या बुत छूने, कोढ़ी या सफ़ेद दाग़ वाले से छू जाने पर।
    • बग़ल खुजाने से जबकि उसमें बदबू हो।
    • क़हक़हा लगाने यानि ज़ोर से हँसने के बाद।
    • बेहूदा शेर पढ़ने के बाद।
    • ऊँट का गोश्त खाने के बाद।
    • किसी औरत के बदन से अपना बदन बिना रुकावट के छू जाने से।
    • वुज़ू होने के बावजूद नमाज़ पढ़ने के लिये।

NO COMMENTS