हज का फ़र्ज़ होना और उसकी फ़ज़ीलत

हज का फ़र्ज़ होना और उसकी फ़ज़ीलत

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

हज  के फ़र्ज़ होने और उसकी फ़ज़ीलत के बारे में कुछ अहादीस

  • हुज़ूर अक़दसگ   ने ख़ुतबा पढ़ा और फ़रमाया ऐ लोगो ! तुम पर हज फ़र्ज़ किया गया लिहाज़ा हज करो । एक शख़्स ने अर्ज़ की क्या हर साल या रसूलल्लाह! हुज़ूर ख़ामोश रहे। उन्होंने तीन  बार यही बात कही, हुज़ूरگ ने इरशाद फ़रमाया अगर मैं हाँ कह देता तो तुम पर वाजिब हो जाता और तुमसे न हो सकता। फिर फ़रमाया जब तक मैं किसी बात को बयान न करूँ तुम मुझसे सवाल न किया करो अगले लोग सवाल की ज़्यादती और फिर अम्बिया ے की मुख़ालफत से हलाक हुए। लिहाज़ा जब मैं किसी काम का हुक्म दूँ तो जहाँ तक हो सके उसे करो और जब मैं किसी बात को मना करूँ तो उसे छोड दो.

(सही मुस्लिम शरीफ़ में अबू हुरैराک से रिवायत)

  • रसूलुल्लाहگ ने फ़रमाया हज कमज़ोरों के लिए जिहाद है।

(इब्ने माजा उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत)

  • हुज़ूरگ  ने फ़रमाया हाजी अपने घर वालों में से चार सौ की शफ़ाअत करेगा और गुनाहों से ऐसा निकल जायेगा जैसे उस दिन ही माँ के पेट से पैदा हुआ।

(बज़्ज़ार ने अबू मूसाک से रिवायत)

  • हुज़ूर अक़दस گ  ने फ़रमाया रमज़ान में उमरा मेरे साथ हज के बराबर है।

(बुख़ारी व मुस्लिम व अबू दाऊद व नसई व इब्ने माजा वग़ैरह, इब्ने अब्बासک से रावी )

  • रसूलुल्लाह گ  फ़रमाते हैं जो मक्के से पैदल हज को जाये यहाँ तक कि मक्का वापस आये उसके लिए हर क़दम पर सात सौ नेकियाँ हरम शरीफ़ की नेकियों के मिस्ल लिखी जायेंगी, कहा गया हरम की नेकियों की क्या मिक़दार है फ़रमाया हर नेकी लाख नेकी है तो इस हिसाब से हर क़दम पर सात करोड़ नेकियाँ हुईं ।

(इब्ने ख़ुज़ैमा व हाकिम इब्ने अब्बासک से रिवायत)

  • रसूलुल्लाहگ ने फ़रमाया जो हज के लिये निकला और मर गया तो क़यामत तक उसके लिये हज करने वाले का सवाब लिखा जायेगा और जो उमरा के लिये निकला और मर गया उसके लिये क़यामत तक उमरा करने वाले का सवाब लिखा जायेगा और जो जिहाद में गया और मर गया उसके लिए क़यामत तक ग़ाज़ी का सवाब लिखा जायेगा।

(अबू याला अबू हुरैराک से रिवायत)

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