एहराम में यह काम मकरूह हैं।

एहराम में यह काम मकरूह हैं।

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

एहराम के मकरूहात

  • बदन का मैल छुड़ाना।
  • बाल या बदन बग़ैर ख़ुशबू वाले साबुन या और किसी ऐसी चीज़ से धोना।
  • कंघी करना, बिखरे बालों को संवारना या इस तरह खुजाना कि बाल टूटने या जूँ के गिरने का अन्देशा हो।
  • कुर्ता, चोग़ा पहनने की तरह कन्धों पर डालना।
  • ख़ुशबू की धूनी दिया हुआ कपड़ा जिसमें ख़ुशबू बाक़ी हो उसे पहनना या ओढ़ना।
  • जानबूझ कर ख़ुशबू सूँघना चाहे ख़ुशबूदार फल या पत्ता हो जैसे नींबू, नारंगी, पोदीना, इत्रदान वग़ैरा।
  • गले में फूलों का हार डालना या ख़ुशबूदार फूलों को सूँघना।
  • इत्र बेचने वाले की दुकान पर ख़ुशबू सूँघने की ग़र्ज़ से बैठना कि ख़ुशबू से दिमाग़ मुअत्तर होगा।
  • सिर या मुँह पर पट्टी बाँधना।
  • काबा शरीफ़ के ग़िलाफ़ के अन्दर इस तरह दाख़िल होना कि ग़िलाफ़ शरीफ़ सिर या मुँह से लगे।
  • नाक वग़ैरा मुँह का कोई हिस्सा कपड़े से छुपाना।
  • कोई ऐसी चीज़ खाना पीना जिसमें ख़ुशबू पड़ी हो और न वह पकाई गई हो न महक ख़त्म हो गई हो।
  • बिना सिला कपड़ा रफ़ू किया हुआ या पैवन्द लगा हुआ पहनना।
  • महकती ख़ुशबू हाथ से छूना जबकि हाथ में लग न जाये और अगर ख़ुशबू हाथ में लग गई तो हराम है।
  • बाज़ू या गले पर तावीज़ बाँधना, चाहे बिना सिले कपड़े में लपेट कर बाँधे।
  • बिला उज़्र बदन पर पट्टी बाँधना।
  • सिंगार करना।
  • चादर ओढ़ कर उसके आँचलों में गिरह दे देना, जबकि सिर खुला हो और अगर सिर छुपा होगा तो हराम है।
  • तहबन्द के दोनों किनारों में गिरह (गाँठ) देना या तहबन्द को कमरबन्द या रस्सी से कसना।
  • एहराम के दौरान उल्टा लेट कर मुँह या पेशानी (माथा) तकिये पर रखना मकरूह है। वैसे तकिये पर सिर या गाल रखकर लेटना जाइज़ है।
  • एहराम की चादरों में पिन, क्लिप या गाँठ वग़ैरा लगाना मकरूह है लेकिन सत्र-ए-औरत की वजह से ऐसा करना जाइज़ है।

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