सिर मुंडवाना या बाल कतरवाना (उमरा करने वालों के लिये)

सिर मुंडवाना या बाल कतरवाना (उमरा करने वालों के लिये)

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

  • इस तवाफ़ व सई के बाद उमरा करने वाले लोग ‘हल्क़’ करें यानि सारे सिर के बाल उस्तरे से मुंडा दें और यह ही अफ़ज़ल भी है या ‘तक़सीर’ यानि बाल कतरवाये और एहराम से बाहर आयें।
  • औरतों को बाल मुंडाना हराम है वह सिर्फ़ उंगली के एक पोरे बराबर बाल अपने शौहर या किसी औरत से कतरवायें या ख़ुद ही काट लें तो और अच्छा है।
  • मर्दों को इख़्तियार है कि हल्क़ करें या तक़सीर लेकिन बेहतर हल्क़ है कि हुज़ूर अक़दसگ  ने ‘हज्जतुल विदा’ में हल्क़ कराया और सिर मुंडाने वालों के लिए दुआ-ए-रहमत तीन बार फ़रमाई जबकि कतरवाने वालों के लिए एक बार।

हज-ए-तमत्तौ करने वालों के लिए अब एहराम की पाबन्दी ख़त्म हो गई, सिले हुए कपड़े पहन सकते हैं और मक्का-ए-मौअज़्ज़मा में रहते हुए जहाँ तक हो सके उमरा, तवाफ़ और दूसरी इबादतें करते रहें और आराम के लिए बैठें भी तो बैतुल्लाह शरीफ़ का दीदार करते रहें क्योंकि यह भी एक इबादत है।

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