بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
नमाज़-ए-तवाफ़ और मुलतज़म से लिपट कर दुआ माँगने के बाद ज़मज़म पर आएं और काबा शरीफ़ की तरफ़ मुँह करके तीन साँसों में पेट भर कर जितना पिया जाये खड़े होकर उतना पानी पियें। हुज़ूर-ए-अकरमگ का फ़रमान है कि हमारे और मुनाफ़िक़ों के दरमियान फ़र्क़ करने वाली निशानी यह है कि मुनाफ़िक़ लोग पेट भर कर ज़मज़म नहीं पीते।
ज़मज़म पीते वक़्त ध्यान रखने लायक़ ज़रूरी बातेंः-
- हर बार ‘बिस्मिल्लाह शरीफ़’ से शुरू करें और ‘‘अल्ह़म्दुलिल्लाह’’ पर ख़त्म करें।
- हर बार काबा-ए-मुअज़्ज़मा की तरफ़ निगाह उठा कर देख लें।
- बाक़ी बदन पर डाल लें।
- मुँह और सिर और बदन पर उससे मसह करें।
- ज़मज़म पीते वक़्त दुआ करें कि यहाँ भी दुआ क़बूल होती है। रसूलुल्लाहگ फ़रमाते हैं ज़मज़म जिस मुराद से पिया जाये उसी के लिए है।
- इस वक़्त की दुआ यह हैः-
اَللّٰھُمَّ اِنِّیۡ اَسۡأَ لُکَ عِلْمًانَّافِعًاوَّرِزْقً وَّاسِعًا
وَّعَمَلًامُّتَقَبَّلًاوَّشِفَاءًمِّن کُلِّ دَآءٍ
(ऐ अल्लाह! मैं तुझ से नफ़ा देने वाला इल्म और कुशादा रिज़्क़
और अमल-ए-मक़बूल और हर बीमारी से शिफ़ा का सवाल करता हूँ)