بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
तवाफ़ चाहे नफ़्ल हो उसमें ये बातें हराम हैं –
- नापाकी की हालत में या बे-वुज़ू तवाफ़ करना।
- जिस्म का जो हिस्सा सत्र-ए-औरत में दाख़िल है उसका चौथाई हिस्सा खुला होना जैसे रान या औरत का कान या कलाई या बाल वग़ैरा।
- बग़ैर मजबूरी के सवारी या किसी की गोद में या कन्धों पर तवाफ़ करना।
- बिला उज़्र बैठ कर सरकना या घुटनों के बल चलना।
- काबा शरीफ़ को दाहिने हाथ पर रखकर उल्टा तवाफ़ करना।
- तवाफ़ में हतीम के अन्दर होकर गुज़रना।
- सात फेरों से कम करना।
- हजर-ए-असवद के अलावा किसी और जगह से तवाफ़ शुरू करना।
- बैतुल्लाह शरीफ़ की तरफ़ सीना करके तवाफ़ का कुछ हिस्सा भी अदा करना हराम है लेकिन जब हजर-ए-असवद के सामने पहुँचें तो ठहरने की हालत में हजर-ए-असवद की तरफ़ मुँह करना जाइज़ है।
- तवाफ़ में जो चीज़ें वाजिब हैं उनमें से किसी को छोड़ना।