तवाफ़ में ये बातें मकरूह हैं

तवाफ़ में ये बातें मकरूह हैं

0
300

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

  • फ़ुज़ूल बात करना।
  • बेचना, ख़रीदना या इनके बारे में कुछ बात करना।
  • ज़िक्र या दुआ या तिलावत ऊँची आवाज़ से करना।
  • नापाक कपड़े में तवाफ़ करना।
  • रमल और इज़्तिबाह को बग़ैर किसी वजह के छोड़ना।
  • हजर-ए-असवद का इस्तिलाम न करना।
  • तवाफ़ के चक्करों में बिना किसी उज़्र के वक़्फ़ा करना या किसी दूसरे काम में लग जाना।
  • दो या ज़्यादा तवाफ़ों को इकठ्ठा करना और उनके बीच में तवाफ़ की दो रकअत न पढ़ना।
  • इमाम के ख़ुतबा देते वक़्त तवाफ़ करना।
  • फ़र्ज़ नमाज़ की जमाअत के वक़्त तवाफ़ करना लेकिन अगर ख़ुद पहली जमाअत में पढ़ चुका है तो बाक़ी जमाअतों के वक़्त तवाफ़ करने में हर्ज नहीं, और नमाज़ियों के सामने गुज़र भी सकता है कि तवाफ़ भी नमाज़ ही की मिस्ल है।
  • तवाफ़ में कुछ खाना।
  • पेशाब, पाख़ाना या रीह (गैस) के आते वक़्त तवाफ़ करना जबकि इनकी वजह से दिल व दिमाग़ और तबीअत में बेचैनी महसूस हो रही हो उस हालत में भी तवाफ़ करना मकरूह है।
  • बिना किसी शरई मजबूरी के जूते पहन कर तवाफ़ करना।
  • तवाफ़ की हालत में दुआ के लिए हाथ उठाना या नमाज़ की तरह हाथ बाँधना।
  • दोनों हाथ तवाफ़ की नीयत के वक़्त बिना तकबीर उठाना।
  • तवाफ़ के वक़्त अरकान-ए-बैतुल्लाह शरीफ़ या किसी और जगह दुआ के लिए खड़ा होना।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY