بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों के बारे में नबी-ए-करीमگ की चन्द अहादीस इस तरह हैं-
- जिसने रमज़ान के एक दिन का रोज़ा बग़ैर रुख़सत (शरई इजाज़त),बग़ैर मर्ज़ के न रखा तो ज़माने भर का रोज़ा उसकी क़ज़ा नहीं हो सकता अगर्चे रख भी ले यानि वह फ़ज़ीलत जो रमज़ान में रखने की थी किसी तरह हासिल नहीं कर सकता।
(बुख़ारी व अहमद व अबू दाऊद व तिर्मिज़ी व इब्ने माजा व दारमी, अबू हुरैराک से रावी)
- रसूलुल्लाह گ फ़रमाते हैं– मैं सो रहा था दो शख़्स हाज़िर हुए और मेरे बाज़ू पकड़ कर एक पहाड़ के पास ले गये और मुझसे कहा चढ़िये। मैंने कहा मुझमें इसकी ताक़त नहीं। उन्होंने कहा हम सहल कर देंगे। मैं चढ़ गया जब बीच पहाड़ पर पहुँचा तो सख़्त आवाज़ें सुनाई दीं, मैंने कहा ये कैसी आवाज़ें हैं। उन्होंने कहा यह जहन्नमियों की आवाज़ें हैं फिर मुझे आगे ले गये। मैंने एक क़ौम को देखा वो लोग उल्टे लटके हुए हैं और उनकी बाछें चीरी जा रही हैं जिससे ख़ून बहता है। मैंने कहा ये कौन लोग हैं कहा ये वो लोग हैं कि वक़्त से पहले रोज़ा इफ़्तार कर लेते हैं।
(इब्ने ख़ुज़ैमा व इब्ने हब्बान अपनी सही में अबू उमामा बाहलीک से रावी)
रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों के बारे में ज़रूरी मसाईल
- खाने, पीने और जिमा (सोहबत) करने से रोज़ा टूट जाता है, जबकि रोज़ादार होना याद हो।
- हुक़्क़ा, सिगार, सिगरेट, बीड़ी और चरस वग़ैरा पीने से रोज़ा टूट जाता है चाहे हलक़ तक धुआँ पहुँचे या नहीं।
- पान या ख़ाली तम्बाकू खाने से भी रोज़ा टूट जाता है, चाहे पीक थूक दी हो।
- चीनी वग़ैरा ऐसी चीज़ें जो मुँह में रखने से घुल जाती हैं मुँह में रखी और थूक निगल लिया तो रोज़ा टूट गया।
- दाँतों के बीच कोई चीज़ चने के बराबर या ज़्यादा थी उसे खा गया या कम ही थी मगर मुँह से निकाल कर फिर खा ली तो रोज़ा टूट गया।
- दाँतों से ख़ून निकल कर हलक़ से नीचे उतरा और ख़ून थूक से ज़्यादा या बराबर था या कम था मगर उसका मज़ा हलक़ में महसूस हुआ तो इन सब सूरतों में रोज़ा टूट गया और अगर कम था और मज़ा भी महसूस नहीं हुआ तो नहीं।
- नाक के नथनों में दवा डालने से, कान में तेल डालने, ख़ुद चले जाने से या हुक़ना (enema) लेने से रोज़ा टूट जाता है, लेकिन पानी कान में चले जाने या डालने से रोज़ा नहीं टूटता।
- कुल्ली करते में बिना इरादा पानी हलक़ से उतर गया या नाक में पानी चढ़ाया और दिमाग़ को चढ़ गया तो रोज़ा टूट गया लेकिन अगर रोज़ा होना भूल गया हो तो नहीं टूटेगा चाहे जानबूझ कर हो।
- किसी ने रोज़ादार की तरफ़ कोई चीज़ फेंकी वह उसके हलक़ में चली गई तो रोज़ा टूट जाता है।
- सोते में पानी पी लिया या कुछ खा लिया या मुँह खुला था और पानी की बूँद या ओला हलक़ में चला गया तो रोज़ा टूट जाता है।
- थूक मुँह से बाहर आने के बाद दोबारा निगल लेने से रोज़ा टूट जाता है।
- मुँह में रंगीन डोरा रखने से थूक रंगीन हो गया उसे निगलने से रोज़ा टूट गया।
- आँसू मुँह में चला गया और निगल लिया अगर एक-दो बूंद है तो रोज़ा नहीं टूटा लेकिन अगर इतना ज़्यादा हो कि उसकी नमकीनी पूरे मुँह में महसूस हुई तो रोज़ा टूट जाता है। पसीने का भी यही हुक्म है।
- औरत का बोसा लिया, छुआ, चूमा या गले लगाया और इन्ज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया और औरत के छूने से मर्द को इन्ज़ाल हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा।
- जानबूझ कर मुँह भर क़ै (उल्टी) करने से रोज़ा टूट जाता है अगर रोज़ादार होना याद हो और उससे कम की या जानबूझकर नहीं की तो रोज़ा नहीं टूटा।
- क़ै का मतलब है कि उल्टी में खाना, सफ़रा (पित्त) या ख़ून आये और अगर बलग़म आया तो रोज़ा नहीं टूटा।
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