वह चीज़ें जिनसे रोज़ा नहीं टूटता

वह चीज़ें जिनसे रोज़ा नहीं टूटता

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

यहाँ अब हम उन चीज़ों का ज़िक्र कर रहे हैं जिनसे रोज़ा नहीं टूटता इस सिलसिले में पहले कुछ अहादीस पेश की जा रही हैं जो इस तरह हैं।  

रसूलुल्लाहگ फ़रमाते हैं-

  • रोज़ादार ने भूलकर खाया या पिया वह अपने रोज़े को पूरा करे कि उसे अल्लाह ने खिलाया और पिलाया।

(सही बुख़ारी मुस्लिम में अबू हुरैराک से मरवी)

  • जिस पर क़ै ने ग़लबा किया उस पर क़ज़ा नहीं और जिसने क़सदन क़ै की उस पर रोज़ा क़ज़ा है।

(अबू दाऊद व तिर्मिज़ी व इब्ने माजा व दारमी अबू हुरैरा ک से मरवी)

  • तीन चीज़ें रोज़ा नहीं तोड़तीं पछना(ख़ून निकलवाना) , क़ै और एहतिलाम।

(तिर्मिज़ी अबू सईदک से रिवायत)

ज़रूरी मसाइल

यहाँ पर सिर्फ़ उन चीज़ों का बयान है जिन से रोज़ा नहीं टूटता लेकिन  यह नहीं बताया गया कि उनसे रोज़ा मकरूह भी होता है या नहीं या यह कि वह काम जाइज़ है या नाजाइज़।

  • भूलकर खाने, पीने या जिमा (सोहबत) करने से रोज़ा नहीं टूटता चाहे वह रोज़ा फ़र्ज़ हो या नफ़्ल।
  • याद दिलाने पर भी अगर याद नहीं आया कि रोज़ादार है और रोज़ा तोड़ने वाला कोई काम किया तो अब रोज़ा टूट जायेगा मगर इस सूरत में कफ़्फ़ारा लाज़िम नहीं।
  • किसी रोज़ादार को कुछ खाते- पीते देखें तो याद दिलाना वाजिब है याद न दिलाया तो गुनाहगार होगा। लेकिन अगर वह रोज़ादार बहुत कमज़ोर हो और यह सोचकर कि खा लेगा तो रोज़ा भी अच्छी तरह पूरा कर लेगा और दूसरी इबादतें भी अच्छी तरह अदा कर लेगा, इस सूरत में याद न दिलाना बेहतर है।
  • मक्खी, धूल, धुआँ या ग़ुबार हलक़ में ख़ुद से चला जाये तो रोज़ा नहीं टूटता।
  • जानबूझ कर धूल या धुआँ वगैरा मुँह या नाक से अंदर की तरफ़ खीचने से रोज़ा टूट जाता है, यहाँ तक कि अगरबत्ती वग़ैरा के धुएँ को नाक से खींचने पर रोज़ा टूट जाता है। इसी तरह बीड़ी, सिग्रेट और हुक़्क़ा पीने से भी रोज़ा टूट जाता है और इन्हें पीने वाले पर कफ़्फ़ारा भी लाज़िम आयेगा।
  • बोसा लेने से रोज़ा नहीं टूटता अगर इन्ज़ाल (मनी का निकलना) न हो।
  • नहाते में या कुल्ली करते में कुछ तरी मुँह में बाक़ी रह गई जो थूक के साथ निगल ली तो उससे रोज़ा नहीं टूटता।
  • कान में पानी चला गया या तिनके से कान खुजाया और उस पर कान का मैल लग गया फिर वही मैल लगा हुआ तिनका कान में डाला और कई बार ऐसा किया तो रोज़ा नहीं टूटा।
  • दाँत या मुँह में बिल्कुल थोड़ी सी कोई चीज़ रह गई और थूक के साथ हलक़ में उतर गई , या दाँतों से ख़ून निकलकर हलक़ तक पहुँचा मगर हलक़ से नीचे न उतरा तो इन सूरतों में रोज़ा नहीं टूटता।
  • भूले से जिमा कर रहा था याद आते ही अलग हो गया या सुबह सादिक़ से पहले जिमा में मशग़ूल था सुबह होते ही अलग हो गया और अगर इन दोनों सूरतों में अलग होने के बाद इन्ज़ाल हो गया हो तब भी रोज़ा नही टूटता।
  • भूले से खाना खा रहा था याद आते ही फ़ौरन निवाला निकाल दिया या सुबह सादिक़ से पहले खा रहा था और सुबह सादिक़ होते ही उगल दिया रोज़ा नहीं टूटा लेकिन अगर निगल लिया तो दोनों सूरतों में रोज़ा टूट जायेगा।
  • एहतिलाम (Night Fall) होने से रोज़ा नहीं टूटता।
  • ग़ीबत हालांकि बहुत सख़्त कबीरा गुनाह है। क़ुरआन मजीद में ग़ीबत करने वाले के बारे में फ़रमाया गया है जैसे अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाना और हदीस में ग़ीबत को ज़िना से भी सख़्ततर बताया है और ग़ीबत की वजह से रोज़े की नूरानियत जाती रहती है। लेकिन ग़ीबत करने से रोज़ा नहीं टूटता।
  • तेल या सुर्मा लगाने से रोज़ा नहीं टूटता चाहे तेल या सुर्मे का मज़ा हलक़ में महसूस होता हो बल्कि थूक में सुर्मे का रंग भी दिखाई देता हो जब भी नहीं।
  • तिल या तिल के बराबर कोई चीज़ चबाई और थूक के साथ हलक़ से उतर गई तो रोज़ा नहीं टूटा, लेकिन अगर उसका मज़ा हलक़ में महसूस होता हो तो रोज़ा टूट गया।

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