वुज़ू की दुनियावी फ़ायदे

वुज़ू की दुनियावी फ़ायदे

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

वुज़ू के बारे में जो यह कुछ फ़ज़ाइल (गुण) बताये गये हैं, उनसे वह फ़ायदे पता चलते हैं जो हमें आख़िरत में हासिल होंगे और एक मुसलमान होने के नाते यही हमारी ज़िंदगी का मक़सद भी है लेकिन इसके अलावा दुनियावी फ़ायदे भी बेशुमार हैं यहाँ आप की जानकारी के लिये कुछ का ज़िक्र कर रहे हैं लेकिन एक बात ध्यान में रखनी ज़रूरी है कि वुज़ू हमेशा इसी नीयत से करें कि अल्लाह के हुक्म से वुज़ू कर रहें हैं न कि दुनियावी फ़ायदे के लिये क्योंकि उसका हुक्म मानने से जो नेअमतें और बरकतें हासिल होती हैं वह और किसी से नही मिलती।

वुज़ू में जिस्म के उन हिस्सों को धोने और साफ़ करने का हुक्म है जो अक़्सर खुले रहते हैं और बाहर की धूल, मिट्टी और जरासीम (कीटाणु) उन पर लगते रहते हैं जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा होती हैं। दिन में पाँच बार वुज़ू करके इन ख़तरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है। अब हम वुज़ू के अलग-अलग अरकान (Steps) के दुनियावी फ़ायदों का ज़िक्र करते हैं।

  1. हाथ धोनाः- दिनभर हाथों मे तरह-तरह की गंदगी और जरासीम (Germs) के लगने से बहुत सी बीमारियाँ जैसे नज़ला, आई फ्लू, दमा, इनफ्लूएंज़ा, हैज़ा और हैपेटाइटिस (ए) वग़ैरा होने का ख़तरा बना रहता है। वुज़ू में हाथों को तीन-तीन बार अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच घाईयों को भी अच्छी तरह धोने को कहा गया है और जब दिन में पाँच बार यह अमल किया जाये तो हाथों में गंदगी या जरासीम के रहने का कोई मतलब ही नहीं रहता।
  2. कुल्ली करनाः- वुज़ू में तीन बार कुल्ली करने से मुँह और दाँतों में फँसे हुए खाने के ज़र्रे(particles) बाहर आ जाते हैं और मुँह साफ़ हो जाता है अगर यह ज़र्रे साफ़ न हों तो सड़ने लगते हैं जिससे बहुत सी बीमारियाँ होने लगती है। आज डाक्टर दिन में दो बार दाँतों में ब्रुश करने को कहते हैं लेकिन दीने इस्लाम तो चौदह सौ साल पहले से दिन में पाँच बार दाँतों में ब्रुश यानि मिस्वाक करने का हुक्म देता है और ब्रुश से तो सिर्फ़ सफ़ाई ही होती है लेकिन मिस्वाक के तो और भी बहुत से फ़ायदे हैं जिनमें से कुछ हम मिस्वाक के बयान में ज़िक्र करेंगे। कुल्ली करते में ग़रारे (Gargles) करने का भी हुक्म है जिससे टानसिल्स और गले का कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
  3. नाक में पानी चढ़ानाः- अच्छी सेहत के लिये हमारे फेफड़ों को साफ़ सुथरी हवा चाहिये जो हमें नाक से साँस लेने से मिलती है, नाक में पानी चढ़ाने से एक तो बाहर से आये धूल के ज़र्रे और जरासीम (जो नाक के बालों में फँस जाते हैं) धुल जाते हैं और साफ़ सुथरी हवा अंदर जाती है और दूसरा इसका सबसे ख़ास फ़ायदा यह होता है कि नाक मे एक माइक्रोस्कोपिक ब्रुश होता है जिसमे दिखाई न देने वाले रेशे (Bristles) होते हैं जो बाहर से हमला करने वाले माइक्रोस्कोपिक जरासीम (Germs) को ख़त्म कर देते है इसके अलावा दिमाग़ के निज़ाम को चलाने के लिये जि़म्मेदार Lysozium System भी इन रेशों के ज़रिये ही काम करता है और नाक में पानी डालने से पानी में मौजूद Electric Rays इन रेशों (Bristles) को ताक़त पहुँचाती हैं। इसलिये वुज़ू में नाक में पानी डालने से बहुत सी पेचीदा (Critical) बीमारियों से बचाव होता है। नाक में पानी डालना दिमाग़ी वायरस का भी बेहतरीन इलाज बताया गया है।
  4. चेहरा धोनाः- आमतौर पर चेहरा खुले रहने की वजह से आसपास की धूल, गंदगी और तरह-तरह के केमिकल्स हमारे चेहरे और आँखों पर लग जाते हैं जिसकी वजह से बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं वुज़ू में पूरा चेहरा, आँखें और दाढ़ी को अच्छी तरह तीन बार धोया जाता है जिसकी वजह से वुज़ू करने वाला इन ख़तरनाक बीमारियों से बचा रहता है मिसाल के लिये आँखों की एक बीमारी है जिसमे आँखों का पानी सूखने लगता है और फिर इंसान अंधा हो जाता है। डाक्टर इस बीमारी से बचने के लिये भँवों को बार-बार भिगोने की सलाह देते हैं लेकिन वुज़ू करने में भँवें भीगती ही हैं लिहाज़ा वुज़ू से इस ख़तरनाक बीमारी से भी बचाव होता है।
  5. हाथ कोहनियों तक धोनाः- आमतौर पर हमारे बाज़ू ढके रहते हैं। अगर बाज़ुओं को हवा और पानी न लगे तो तरह-तरह की दिमाग़ी और नफ़्सियाती बीमारियाँ हो सकती हैं। वुज़ू में हाथ कोहनियों तक धोये जाते हैं जिससे दिल, जिगर (liver) और दिमाग़ को ताक़त मिलती है और इनसे मुताल्लिक़ बहुत सी जानलेवा बीमारियों से बचे रहते हैं।
  6. मसह करनाः- वुज़ू में सिर, कान और गर्दन का मसह किया जाता है। इससे दिमाग़, रीढ़ की हड्डी और कानों की बहुत सी ख़तरनाक बीमारियाँ जैसे सरवाइकल, लू (Sun Stroke), गर्दन का बुख़ार और पागलपन वग़ैरा से बचा जा सकता है। मसह करने से आसाबी निज़ाम (Nervous System) को भी ताक़त मिलती है।
  7. पाँव धोनाः- जब हम चलते हैं तो पाँवों पर ही सबसे ज़्यादा गंदगी लगती है जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियाँ जन्म लेती हैं। वुज़ू में पाँवों को टख़नो समेत अच्छी तरह धोने का हुक्म है यहाँ तक कि उंगलियों के बीच की घाईयाँ भी जो ज़रा सी सूखी रह जायें तो वुज़ू नहीं होता। आज रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि पाँव धोने और उंगलियों का ख़िलाल करने से डिप्रेशन, नींद की कमी, दिमाग़ की ख़ुश्की और थकान वग़ैरा से छुटकारा हासिल किया जा सकता है।

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