वुज़ू का सवाब बढ़ाने वाली चीज़ें (मुस्तहिब्बात)

वुज़ू का सवाब बढ़ाने वाली चीज़ें (मुस्तहिब्बात)

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

वह काम जो शरीयत की नज़र में पसंद किये जाते हैं और उनके करने में सवाब भी होता है लेकिन अगर छूट भी जाएं तो उस पर कोई अज़ाब नहीं है। वुज़ू के कुछ मुस्तहिब्बात यह हैं।

  • दाहिनी तरफ़ से शुरू करना। मगर दोनो गाल एक साथ धोयें, कानों का मसह भी एक साथ करें।
  • उंगलियों की पुश्त यानि उल्टी तरफ़ से गर्दन का मसह करना।
  • वुज़ू करते वक़्त काबे की तरफ़ ऊँची जगह बैठना।
  • वुज़ू का पानी पाक जगह गिराना।
  • पानी डालते वक़्त वुज़ू के हिस्सों पर हाथ फेरना ख़ास कर सर्दी के मौसम में।
  • वुज़ू में जो हिस्सा धोना है उसपर पहले तेल की तरह पानी मल़ लेना ख़ास कर जाड़े में।
  • वुज़ू के लिए पानी अपने हाथ से भरना।
  • दूसरे वक़्त के लिये पानी भर कर रखना।
  • वुज़ू करने में बिना ज़रूरत दूसरे से मदद न लेना।
  • अँगूठी पहने हुये हो तो उसको हिलाना जबकि ढीली हो ताकि उसके नीचे पानी बह जाये। अगर ढीली न हो तो उसका हिलाना फ़र्ज़ है।
  • कोई मजबूरी न हो तो वक़्त से पहले वुज़ू करना।
  • इत्मिनान से वुज़ू करना। जल्दबाज़ी में कोई सुन्नत या मुस्तहब नहीं छूटना चाहिये।
  • कपड़ों को वुज़ू की टपकती बूँदों से बचाना।
  • कानों का मसह करते वक़्त भीगी चुंगली कानों के सुराख़ में दाखि़ल करना।
  • जो अच्छी तरह वुज़ू करता हो उसे कोयों, टख़नों, एड़ियों, तलवों, कूँचों, घाइयों और कुहनियों का ख़ास ख़्याल रखना मुस्तहब है और बे-ख़्याली करने वालों के लिए तो फ़र्ज़ है कि अक़्सर देखा गया है कि यह जगहें सूखी रह जाती हैं और ऐसी बे-ख़्याली हराम है।
  • वुज़ू का बर्तन मिट्टी का हो। ताँबे वग़ैरा का हो तो भी हर्ज नहीं मगर क़लई वाला हो।
  • वुज़ू लोटे से करें तो उसे बाईं तरफ़ और तश्त या टब से करें तो दाहिनी तरफ़ रखना।
  • लोटे में दस्ता लगा हो तो दस्ते को तीन बार धो लें और हाथ उसके दस्ते पर रखें।
  • दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना।
  • बायें हाथ से नाक साफ़ करना और बायें हाथ की चुंगली नाक में डालना।
  • पाँव को बायें हाथ से धोना।
  • मुँह धोने में माथे के सिरे पर ऐसा फैला कर पानी डालें कि ऊपर का भी कुछ हिस्सा धुल जाये।

तम्बीह:- बहुत से लोग ऐसा करते हैं कि नाक, आँख या भँवों पर पानी डाल कर सारे मुँह पर हाथ फेर लेते हैं और यह समझते हैं कि मुँह धुल गया ध्यान रखें कि पानी ऊपर से नीचे बहता है नीचे से ऊपर नहीं चढ़ता इस तरह धोने में मुँह नहीं धुलता और वुज़ू नहीं होता।

  • दोनों हाथों से मुँह धोना।
  • हाथ पाँव धोने में उंगलियों से शुरू करना।
  • जिन हिस्सों पर पानी बहाना फ़र्ज़ है उससे बढ़ाना जैसे आधे बाज़ू और आधी पिंडली तक धोना।
  • हर हिस्से को धोकर उस पर हाथ फेरना कि बूँदे बदन या कपड़े पर न टपकें, ख़ास कर जब मस्जिद में जाना हो क्योंकि बूँदों का मस्जिद में टपकना मकरूहे तहरीमी है।
  • ज़ुबान से वुज़ू की नीयत करना। हर हिस्से को धोते या मसह करते वक़्त नीयत का हाज़िर रहना।

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