पाक करने के तरीक़े

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بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

  • वह चीज़ें जो ख़ुद ही नापाक व नजिस हैं जैसे शराब या दूसरी ग़लीज़ चीजें जब तक अपनी अस्ल को छोड़कर कुछ और न हो जायें पाक नहीं हो सकतीं। शराब जब तक शराब है नजिस ही रहेगी और सिरका हो गया तो अब पाक है। इसी तरह गोबर का उपला नापाक है लेकिन जल कर राख बन गया तो पाक है।

 

  • वह चीज़ें जो ख़ुद नजिस नहींं बल्कि किसी निजासत के लगने से नापाक हुईं उनके पाक करने के अलग अलग तरीक़े हैं। आमतौर पर इन्हें पानी से धो कर पाक कर सकते हैं या सिरके और गुलाब से भी निजासत दूर कर सकते हैं लेकिन बग़ैर ज़रुरत इनसे पाक करना नाजाइज़ है क्योंकि यह फ़ुज़ूलख़र्ची है लेकिन दूध, शोरबा और तेल से धोने से पाक नहीं होगा क्योंकि उनसे निजासत दूर नहीं होती।

 

अलग-2 क़िस्म की चीज़ों को पाक करने के तरीक़े अलग-2 हैं जो इस तरह हैं।

  • निजासत अगर दलदार हो जैसे पाख़ाना, गोबर और ख़ून वग़ैरा तो धोने में गिनती की कोई शर्त नहीं बल्कि उसको ख़त्म करना ज़रूरी है जब ही पाक होगा। चाहे एक बार धोने से ही साफ़ हो जाए या चार पाँच बार धोने से लेकिन अगर तीन बार से कम धोने में निजासत दूर हो जाये तो तीन बार धोना मुस्तहब है।
  • निजासत दूर होने के बाद उसका कुछ असर रंग या बू बाक़ी है तो उसे भी दूर करना ज़रूरी है। लेकिन अगर उसका असर मुश्किल से जाये तो ज़्यादा रगड़ने की ज़रूरत नहीं बस तीन बार धो लिया पाक हो गया।
  • कपड़े या हाथ में नापाक रंग/मेंहदी लगाई तो इतना धोयें कि साफ़ पानी गिरने लगे, तो पाक हो जायेगा चाहे कपड़े या हाथ पर रंग बाक़ी हो।
  • जाफ़रान या रंग, कपड़ा रंगने के लिये घोला था, उसमें कोई निजासत पड़ गई और उस से कपड़ा रंग लिया तो तीन बार धोने से पाक हो जायेगा।
  • कपड़े या बदन में नापाक तेल लगा था तो तीन बार धो लेने से पाक हो जायेगा, चाहे तेल की चिकनाई मौजूद हो। मुर्दार की चर्बी हो, तो जब तक चिकनाई न जाये तब तक पाक नहीं होगा।
  • अगर निजासत पतली हो तो तीन बार धोने और तीन बार ज़ोर से निचोड़ने से पाक होगा। ज़ोर के साथ निचोड़ने का मतलब यह है कि कोई शख़्स अपनी ताक़त से इस तरह निचोड़े कि अगर फिर निचोड़े तो उससे कोई क़तरा न टपके अगर कपड़े का ख़्याल करके अच्छी तरह नहीं निचोड़ा तो पाक नहीं होगा। पहली और दूसरी बार निचोड़ने के बाद हाथ पाक कर लेना ज़रूरी है और तीसरी बार निचोड़ने से कपड़ा भी पाक हो गया और हाथ भी और जो कपड़े में इतनी तरी रह गई हो कि निचोड़ने से एक आध बूँद टपकेगी तो कपड़ा और हाथ दोनों नापाक हैं।
  • अगर धोने वाले ने अच्छी तरह निचोड़ लिया मगर अभी ऐसा है कि अगर कोई दूसरा शख़्स जो ताक़त में उससे ज़्यादा है निचोड़े तो दो एक बूँद टपक सकती है तो धोने वाले के हक़ में पाक और इस दूसरे के हक़ में नापाक है।
  • टेरीकाट का कपड़ा जितना भी निचोड़ा जाए उसमें बूँदें फिर भी टपकती हैं। लिहाज़ा टेरीकाट को धो कर फैला दें यहाँ तक कि बूँदे टपकना बन्द हो जायें ऐसा ही तीन बार कर लें। जब तीसरी मरतबा बूँदें टपकना बन्द हो जाये तो कपड़ा पाक हो गया चाहे नमी बाक़ी रहे। दूसरा तरीक़ा यह है कि ख़ूब पानी बहा कर पाक करे या बहते पानी में पाक करें।
  • कपड़े को तीन बार धोकर हर बार ख़ूब निचोड़ लिया है कि अब निचोड़ने से पानी नहीं टपकेगा फिर उसको लटका दिया और उससे पानी टपका तो यह पानी पाक है और अगर ख़ूब नहीं निचोड़ा था तो यह पानी नापाक है।
  • जो चीज़ निचोड़ने के क़ाबिल नहीं है जैसे चटाई, बर्तन, पकाया हुआ चमड़ा और जूता या बहुत नाज़ुक कपड़ा वग़ैरा, उनको धोकर छोड़ दें कि पानी टपकना रुक जाये इस तरह तीन बार धोयें। तीसरी मरतबा जब पानी टपकना बन्द हो गया तो वह चीज़ पाक हो गई।
  • कोई ऐसी चीज़ जिसमें निजासत जज़्ब नहीं होती जैसे चीनी के बर्तन या मिट्टी का पुराना इस्तेमाली चिकना बर्तन या लोहे, तांबे, पीतल वग़ैरा धातों की चीज़ों कोे सिर्फ़ तीन बार धो लेना काफ़ी है।
  • नापाक बर्तन को मिट्टी, राख या साबुन से माँझ लेना बेहतर है।
  • दरी, क़ालीन या कोई ऐसा कपड़ा जिसका धोना और निचोड़ना मुश्किल हो बहते पानी में रात भर पड़ा रहने सेे पाक हो जाएगा लेकिन अस्ल बात यह है कि जितनी देर में यह पक्का यक़ीन हो जाये कि निजासत बह गई तो पाक हो गया बहते पानी से पाक करने में निचोड़ना शर्त नहीं।
  • तीन बार धोने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि एक दम तीनों बार धोये बल्कि अलग-अलग वक़्तों में या अलग-अलग दिनों में यह गिनती पूरी की जाये जब भी पाक हो जायेगा।
  • लोहे की चीजें जैसे चाक़ू/तलवार और छुरी वग़ैरा जिनमें न ज़ंग हो, न बेल बूटे बने हों वो अच्छी तरह पोंछ लेने से पाक हो जायेंगी, निजासत चाहे दलदार हो या पतली। इसी तरह चाँदी, सोने, पीतल, गिलट और हर क़िस्म की धात की चीज़ें पोंछने से पाक हो जाती हैं बशर्ते वह नक्शीन/ बेल बूटे वाली/ज़ंग आलूद न हो। वरना धोना ज़रूरी है।
  • शीशे, चीनी या मिट्टी के रौग़नी (चिकने) बर्तन, पालिश की हुई लकड़ी या वह चीज़ें जिनमें सुराख़ न हों कपड़े या पत्ते से इतनी पोंछ लीं कि निजासत का असर ख़त्म हो गया तो पाक हो जाते हैं।
  • मनी अगर कपड़े या बदन में लग कर सूख जाये तो सिर्फ़ मलकर या खुरच कर साफ़ करने से पाक हो जायेगा चाहे मलने के बाद उसका कुछ असर कपड़े में बाक़ी भी रह जाये।
  • चमड़े वाले मोज़े या जूते में दलदार निजासत लगी जैसे पाख़ाना गोबर वग़ैरा तो खुरचकर या रगड़ कर साफ़ करने से पाक हो जायेगा।
  • पेशाब की तरह कोई पतली निजासत चमड़े वाले जूते या चमड़े वाले मोज़े में लगी तो उस पर मिट्टी या राख या रेत वग़ैरा डाल कर रगड़ने से पाक हो जायेगें लेकिन अगर वह निजासत सूख गई तो अब बे-धोये पाक नहीं होगी।
  • अगर नापाक ज़मीन सूख जाये और निजासत का असर यानि रंग और बू जाती रहे तो पाक हो जायेगी चाहे वह हवा से सूखी हो या धूप से या आग से मगर उससे तयम्मुम करना जाइज़ नहीं अलबत्ता नमाज़ पढ़ सकते हैं।
  • पेड़, पौधे, घास, दीवार और ऐसी ईंट या पत्थर जो ज़मीन में गड़े हों सूखने के बाद पाक हो जाते हैं, अगर गड़े न हो तो सूखने से पाक नहीं होंगे बल्कि धोना ज़रूरी है। इसी तरह नापाक पेड़ या नापाक घास सूखने से पहले काट लें तो पाक करने के लिए धोना ज़रूरी है।
  • कंकरी जो ज़मीन के ऊपर है सूखने से पाक नहीं होगी और जो ज़मीन में चिपकी हुई हो वह ज़मीन के हुक्म में है।
  • नापाक मिट्टी से बनाये बर्तन जब तक कच्चे हैं नापाक हैं लेकिन पकाने के बाद पाक हो जायेंगे।
  • तन्दूर या तवे पर नापाक पानी का छींटा डाला और आँच से वह सूख गया तो जो रोटी पकाई गई पाक है।
  • सुअर के सिवा हर मुर्दार जानवर की खाल सुखाने से पाक हो जाती है चाहे उसको खारी नमक या किसी दवा वग़ैरा से पकाया हो या सिर्फ़ धूप या हवा में सुखा लिया हो, अगर उसकी तमाम रतूबत ख़त्म होकर बदबू जाती रही तो पाक हो गयी और उस पर नमाज़ जाइज़ होगी।
  • ज़मीन में लगी चीज़ नजिस हो गई फिर सूखने के बाद अलग की गई तो पाक ही रहेगी।
  • कपड़े में एक तरफ़ निजासत लगी और दूसरी तरफ़ उसने असर नहीं किया तो उसको पलट कर दूसरी तरफ़ जिधर निजासत नहीं लगी है नमाज़ नहीं पढ़ सकते चाहे कितना ही मोटा क्यों न हो।
  • अक़्सर जानमाज़ के नीचे कपड़ा वग़ैरा लगा लेते हैं और वह नजिस हो जाए तो अगर जानमाज़ के साथ सिला हो तो उस पर नमाज़ जाइज़ नहीं और सिला हुआ नहीं हो तो जाइज़ है।
  • लकड़ी का तख़्ता एक रुख़ से नजिस हो गया तो अगर इतना मोटा है कि मोटाई में चिर सके तो पलट कर उस पर नमाज़ पढ़ सकते हैं वरना नही।
  • ज़मीन गोबर से लेसी गई अगर सूख भी गई हो जब भी उस पर नमाज़ जाइज़ नहीं। हाँ अगर वह सूख गई और उस पर कोई मोटा कपड़ा बिछा लिया तो उस कपड़े पर नमाज़ पढ़ सकते हैं।
  • किसी दूसरे मुसलमान के कपड़े में निजासत लगी देखी और ग़ालिब गुमान है कि उसको ख़बर करेगा तो पाक कर लेगा तो ख़बर करना वाजिब है।
  • कपड़े का कोई हिस्सा नापाक हो गया और यह याद नहीं कि वह कौन सा हिस्सा था तो पूरा धोना बेहतर है लेकिन अगर यह याद है कि जैसे आस्तीन नापाक हुई थी मगर यह नहीं मालूम कि आस्तीन का कौन सा हिस्सा था तो पूरी आस्तीन का धोना ही पूरे कपड़े का धोना है और अगर अन्दाज़ से सोचकर उसका कोई हिस्सा धो लिया तो पाक हो गया लेकिन कुछ नमाज़ें पढ़ने के बाद मालूम हुआ कि नजिस हिस्सा नहीं धोया गया तो अब धो ले लेकिन नमाज़ों को लौटाने की ज़रूरत नहीं। बिना सोचे हुए कोई हिस्सा धो लिया तो जब भी पाक है मगर बाद को ग़लती मालूम हुई तो फिर धोकर नमाज़ें लौटाना ज़रूरी है।

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