بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
अल्लाह तआला फ़रमाता है-
“उनसे जहन्नम में यह पूछा जाएगा ‘‘कि तुम को जहन्नम में क्या चीज़ ले गई?’’ वह कहेंगे कि हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे और न मिसकीनों को खाना खिलाने वालों में थे बल्कि बहस करने वालों के साथ बहस किया करते थे”।
हज़रत मुहम्मदگ ने फ़रमाया कि-
- आदमी का शिर्क या कुफ़्र के दरमियान फ़र्क़ नमाज़ का छोड़ देना है।
(मुस्लिम)
- जिस शख़्स ने जानबूझ कर नमाज़ छोड़ दी अल्लाह तआला उसका नाम जहन्नम के उस दरवाज़े पर लिख देता है जिसमें से उसे दाख़िल होना होता है।
(अबू नुऐम)
- अल्लाह तआला ने इस्लाम में चार चीज़ें फ़र्ज़ की हैं जो शख़्स उनमें से तीन को पूरा करता है मगर एक को छोड़ देता है उसे अज़ाब से कोई चीज़ नहीं बचाएगी यहाँ तक कि वह चारों पर अमल करे नमाज़, ज़कात, रोज़ा और हज।
(मुसनद अहमद)
- जिसकी नमाज़ क़ज़ा हो गई तो गोया उसका माल और घराना तबाह हो गया।
(सही इब्ने हब्बान)
- जिसने किसी शरई मजबूरी के बग़ैर दो नमाज़ों को इकठ्ठा किया तो वह कबीरा गुनाहों के दरवाज़े में दाख़िल हुआ।
(हाकिम)
- नमाज़ों में एक नमाज़ ऐसी है कि जिसकी वह नमाज़ क़ज़ा हो गई तो गोया उसके घरवाले और माल सब तबाह हो गया और वह है नमाज़े अस्र।
(निसाई)
- जिसने नमाज़े अस्र छोड़ दी यहाँ तक कि सूरज ग़ुरूब हो गया और उसके लिए कोई शरई मजबूरी भी नहीं था तो गोया उसका अमल बरबाद हो गया।
(इब्ने अबी शैबा)
- नमाज़ तराज़ू है जिसने उसे पूरा किया वह कामयाब है।
(बैहक़ी)
- नमाज़ शैतान का मुँह काला करती है, सदक़ा उसकी कमर तोड़ता है, अल्लाह के लिए लोगों से मुहब्बत और इल्म से दोस्ती शैतान को खुले तौर पर हरा देती है जब तुम यह आमाल करते हो तो शैतान तुमसे इतना दूर हो जाता है कि जैसे सूरज के निकलने की जगह डूबने की जगह से दूर है।
(दैलमी)
- तीन आदमी ऐसे हैं कि अल्लाह तआला जिनकी नमाज़ और ज़िक्र क़बूल नहीं करता। उनमें एक वह है जो वक़्त गुज़र जाने के बाद नमाज़ पढ़ता है।
(अबू दाऊद)
- एक क़ौल के मुताबिक़ ”वैल” जहन्नम की एक वादी का नाम है अगर उसमें दुनिया के पहाड़ डाले जायें तो वह भी उसकी सख़्त गर्मी की वजह से पिघल जायें और यह वादी उन लोगों का ठिकाना है जो नमाज़ों में सुस्ती करते हैं और उनको उनके वक़्त से देर (Late) करके पढ़ते हैं, लेकिन अगर वो अल्लाह तआला की तरफ़ रुजू और तौबा कर लें और गुज़रे हुए आमाल पर शर्मिन्दा हों तो और बात है।
बाज़ उलमा का कहना है और हदीस शरीफ़ में भी है कि जो शख़्स नमाज़ की पाबन्दी करता है उसे अल्लाह तआला पाँच चीज़ों से नवाज़ता है।
- उससे तगंदस्ती ख़त्म कर दी जाती है।
- उसे अज़ाबे क़ब्र नहीं होगा।
- नामा-ए-आमाल उसे दाएं हाथ में दिया जाएगा।
- पुलसिरात पर बिजली की तरह गुज़रेगा।
- जन्नत में बिना हिसाब दाख़िल होगा।
नमाज़ में सुस्ती करने वाले की महरूमियाँ और आफ़तें:-
- उसकी उम्र से बरकत छीन ली जाती है।
- उसके चेहरे से सुआलेहीन (नेक लोगों) की निशानी मिट जाती है।
- उसके किसी भी अमल का अल्लाह तआला अज्र नहीं देता।
- उसकी दुआ आसमानों की तरफ़ बुलन्द नहीं होती।
- नेकों की दुआओं में उसका कोई हिस्सा नहीं होता।
- वह ज़लील होकर मरेगा।
- भूखा और प्यासा मरेगा अगर उसे दुनिया के तमाम समुन्दर पिला दिये जायें तो भी उसकी प्यास नहीं बुझेगी।
- क़ब्र उस पर तंग होगी यहाँ तक इसकी पसलियाँ एक दूसरे में मिल जायेंगी।
- उसकी क़ब्र में आग भड़काई जाएगी जिसके अंगारों पर वह रात दिन लोटता रहेगा।
- उसकी क़ब्र में एक अज़दहा मुक़र्रर कर दिया जाएगा जो बहुत ही ज़हरीला है उसकी आँखें आग की होंगी और नाख़ून लोहे के होंगे जिनकी लम्बाई एक दिन के सफ़र के बराबर होगी। वह कड़कदार बिजली जैसी अवाज़ में मय्यत से बात करेगा और नमाज़ों के न पढ़ने के बदले सुबह से शाम तक डसता रहेगा और जब उसे डसेगा वह सत्तर हाथ ज़मीन में धँस जाएगा और क़यामत तक इसी तरह उसको अज़ाब होता रहेगा।
- वह क़यामत में इस हालत में आएगा कि उसके चेहरे पर तीन लाईनें लिखी होंगी।
- पहली लाईन यह होगी “ऐ अल्लाह के हुक़ूक़ ज़ाय करने वाले”
- दूसरी लाईन होगी “ऐ अल्लाह की नाराज़गी के लिए मख़सूस”
- तीसरी लाईन होगी कि “जैसे तूने अल्लाह के हुक़ूक़ दुनिया में ज़ाय किये हैं ऐसे ही तू आज अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद होगा।”
जानबूझ कर नमाज़ तर्क करने वाला ज़िना करने वाले से भी बदतर है:
रिवायत है कि बनी इस्राईल की एक औरत हज़रत मूसाے की ख़िदमत में आई और अर्ज़ किया ऐ नबी अल्लाह! मैंने बहुत बहुत बड़ा गुनाह किया है और तौबा भी की है। अल्लाह तआला से दुआ मांगिये कि वह मेरे गुनाह को बख़्श दे और मेरी तौबा क़बूल फ़रमाये। हज़रत मूसाے ने पूछा तूने कौन सा गुनाह किया है? वह कहने लगी कि मैंने ज़िना किया और जो बच्चा पैदा हुआ उसे क़त्ल कर दिया है। यह सुन कर हज़रत मूसाے बोले ऐ बदबख़्त निकल जा कहीं तेरी नुहूसत की वजह से आसमान से आग नाज़िल होकर हमें न जला दे। चुनांचे वह अपना टूटा हुआ दिल लेकर वहाँ से चल पड़ी। तब हज़रत जिब्राईलے नाज़िल हुए और कहा- “ऐ मूसा (ے) अल्लाह तआला फ़रमाता है कि तूने गुनाह से तौबा करने वाली को क्यों वापस कर दिया है? क्या तूने उससे भी ज़्यादा बुरा आदमी नहीं पाया”। हज़रत मूसाےने पूछा- “ऐ जिब्राईल! उस औरत से ज़्यादा बुरा कौन है“? हज़रत जिब्राईल ےबोले कि- “इससे बुरा वह है जो जानबूझ कर नमाज़ छोड़ दे“।
दुआः– ऐ अल्लाह! हम तुझसे नमाज़ों को उनके सही वक़्तों में अदा करने और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ने और सही नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ माँगते हैं। और यह भी तौफ़ीक़ माँगते हैं कि नमाज़ को सही क़ुरआन के साथ और सभी शर्तों की पाबन्दी के साथ पढ़ें यहाँ तक कि हमारी नमाज़ें मकरूहात से पाक रहें जैसा कि हमारे बुज़ुर्गों की नमाज़ें थीं। बेशक ऐ रब! तू मेहरबान, करीम, रऊफ़ और रह़ीम है।