بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
अल्लाह तआला उसके नबियों और रसूलों पर ईमान लाने के बाद हमारे लिये ज़रूरी है कि इस बात पर ईमान रखें कि अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को पैदा किया जिन की तादाद सिर्फ़ अल्लाह ही जानता है या उसके बताने से उसके महबूब बन्दे जानते हैं। फ़रिश्ते अल्लाह के हुक्म से काम करते हैं और कोई काम भी जान बूझ कर या अनजाने में उसके ख़िलाफ़ नहीं करते। फ़रिश्तों के लिए अलग- अलग काम हैं और हर काम के लिए अनगिनत फ़रिश्ते रात दिन लगे रहते हैं।
- बाज़ के ज़िम्मे अम्बिया ے की ख़िदमत में “वही” लाना।
- किसी के मुताल्लिक़ पानी बरसाना।
- किसी के मुताल्लिक़ हवा चलाना।
- किसी के ज़िम्में माँ के पेट में बच्चे की सूरत बनाना।
- किसी के मुताल्लिक़ इन्सान की दुश्मनों से हिफ़ाज़त करना
- किसी के मुताल्लिक़ ज़िक्र करने वालों की महफ़िलों में शरीक होना।
- किसी के मुताल्लिक़ इन्सानों के नामा-ए-आमाल लिखना।
- बहुत से फ़रिश्तों का दरबार-ए-रिसालत में हाज़िर होना।
- किसी के मुताल्लिक़ नबी-ए-करीम گ पर मुसलमानों का दुरूद और सलाम पहुँचाना।
- बाज़ों के मुताल्लिक़ क़ब्र में सवाल-जवाब करना।
- किसी के ज़िम्मे रूह क़ब्ज़ करना।
- किसी के मुताल्लिक़ लोगों तक रोज़ी पहुँचाना।
चार मशहूर फ़रिश्ते हैं जो औरों से अफ़ज़ल हैं
- हज़रत जिब्राईल ے
- हज़रत मीकाईल ے
- हज़रत इसराफ़ील ے
- हज़रत इज़राईल ے
फ़रिश्तों के बारे में ज़रूरी अक़ाइद
- किसी फ़रिश्ते के बारे में ज़रा सी ग़ुस्ताख़ी भी कुफ़्र है।
- कुछ लोग अपने दुश्मन को देखकर अक़्सर कहते हैं कि ‘मलाकुल मौत आ गया’, यह कहना कुफ़्र की तरफ़ ले जाता है।
- फ़रिश्तों को अल्लाह तआला ने नूर से बनाया और यह किसी भी शक्ल में आ सकते हैं।
- जो फ़रिश्तों के वजूद को न माने वह काफ़िर है।